Saturday, 11 September 2010

बड़े आदमी !!

नेता जी हमारे पडोसी हैं । जब हमने अपने मकान कि नीव रखी तब ये भी हम जैसे ही थे । एक बड़े नेताजी के संपर्क में रहते थे उनका दो क्षेत्र था एक हमारे पडोसी को मिल गया वे चुनाव जीत गए .एक बार दो साल के लिए मंत्री भी बने अब क्या बात ...
जो इनकी न सुने ,इनकी हाँ में न रहे उसे रहने न दो । बहुत संपत्ति भी बनायी । हमारे देश कि जनता इनको इतनी ताकत दे देती है कि ये भाग्यविधाता बन जाते हैं ।
गलत को सही बनाना इनके चर्या में शामिल होता है । इनकी हरकतों से किसी को कितनी भी दुःख हो इनको सुनने कि आदत नहीं है । नेता जी के पुत्र घमंड के मारे चल ही नहीं पाते बड़ी नफासत से लहरा के चलतें हैं ।
कहाँ से पढ़े हैं किसी को नहीं मालूम पर खुद को डॉक्टर कहलवाते हैं । कही पढने गए थे दो साल में घर आ गए तब से खुद को डॉक्टर कहलवाते हैं ।
इनके आस -पास कोई कितना भी पढ़ा हो ये सबको खुद से छोटा मानते हैं । ये जिसको जो चाहे कह सकते है । अनाधिकार चेष्टा इनको आती है । किसी को परेशान करना हो तो अपने किसी साथी को कह देंगे खुद पीछे से रहेंगे ।
कुछ नहीं सूझता तो यही कहेंगे कि तुम लोग ठीक से चला करो । तुम्हारा नौकर हमारे घर के सामने खड़ा है । अगर आप इनको समझाना चाहो कि ऐसा नहीं है तो ये घर में चले जातें हैं । बहुत ब्यस्त दिखाते हुए ।

विरासत में खूब धन मिला है इसलिए बड़े हैं । इनको फिकर रहती है कि कोई खुश तो नहीं रह रहा क्यों कि ये मानते है ख़ुशी पर केवल मेरा हक़ उसके जितने भी कारण होते हो वे मेरे पास होने चाहिए । नहीं कुछ सूझता तो सुबह उठ कर रास्ते में एक खाली मिठाई का डिब्बा फेक देंगे ,कूड़ा फेक देंगे ,नाली बंद कर देंगे , नौकरों को गाली देंगे यही हैं इनके बड़प्पन के लक्षण ।
इनसे कोई फूटी कौड़ी भी नहीं पा सकता पर दानी कहलवाने का शौक है अपने दान के किस्से गढ़ कर सुनाया करतें हैं । ये बहुत बड़े आदमी हैं ।





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